Rafale All You Need To Know About India Rafale Fighter Jet - VISION

Material For Exam

Recent Update

Tuesday, July 28, 2020

Rafale All You Need To Know About India Rafale Fighter Jet

राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप के रूप में कल देश को पांच विमान मिल जाएंगे. ये विमान फ्रांस से लगभग सात हजार किलोमीटर का सफर तय करके कल अंबाला वासुसेना अड्डे पर पहुंचेंगे. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर विमान और दो ट्विन सीटर विमान शामिल हैं.




नंबर 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन एरोज’ को राफेल विमानों से लैस इस सैन्‍य बेस पर तैयार किया जा रहा है. वायुसेना के बेड़े में राफेल के शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होने की उम्मीद है. भारत को यह लड़ाकू विमान ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब उसका पूर्वी लद्दाख में सीमा के मुद्दे पर चीन के साथ गतिरोध चल रहा है.
राफेल से जुड़े कुछ सवालों के जवाब जानिए-
  • राफेल की स्पीड कितनी है?
24,500 किलोग्राम वजन वाला राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है. इसकी अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है. एक बार उड़ान भरने के बाद 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है.
  • भारत ने कितने विमान खरीदे, सौदा कब हुआ था?
भारत ने वायुसेना के लिए 36 राफेल विमान खरीदने के लिए चार साल पहले सितंबर में फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था. भारत ने राफेल सौदे में करीब 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपए) लड़ाकू विमानों के हथियारों पर खर्च किए हैं.
  • एक राफेल इतना महंगा क्यों है?
36 राफेल विमानों की कीमत 3402 मिलियन यूरो है. विमानों के स्पेयर पार्टस 1800 मिलियन यूरो के हैं, जबकि भारत के जलवायु के अनुरुप बनाने में 1700 मिलियन यूरो का खर्चा हुआ है. इसके अलावा परफॉर्मेंस बेस्ड लॉजिस्टिक का खर्चा करीब 353 मिलियन यूरो का है. एक विमान की कीमत करीब 90 मिलियन यूरो है यानी करीब 673 करोड़ रुपए. लेकिन इस विमान में लगने वाले हथियार, सिम्यूलेटर, ट्रैनिंग मिलाकर एक फाइटर जेट की कीमत करीब 1600 करोड़ रुपए पड़ेगी.
  • राफेल कब भारत पहुंचेगा और किस एयरबेस में तैनात होगा?
राफेल कल यानी 29 जुलाई को हरियाणा के अंबाला वायुसेना एयरबेस पर पहुंचेंगे. अंबाला में ही राफेल फाइटर जेट्स की पहली स्क्वाड्रन तैनात होगी. 17वीं नंबर की इस स्क्वाड्रन को 'गोल्डन-ऐरोज़' नाम दिया गया है. इस स्क्वाड्रन में 18 राफेल लड़ाकू विमान होंगे, तीन ट्रैनर और बाकी 15 फाइटर जेट्स. राफेल विमानों की दूसरी स्क्वाड्रन उत्तरी बंगाल (पश्चिम बंगाल) के हाशिमारा में तैनात की जाएगी. दोनों स्क्वाड्रन में 18-18 राफेल विमान होंगे.
  • अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?
अंबाला एयरबेस पर राफेल को तैनात करने का फैसला इसलिए किया गया है, क्योंकि यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही चीन और पाकिस्तान की सरहदें यहां से करीब हैं.
  • भारत को सभी 36 विमान कब मिलेंगे?
भारतीय वायुसेना ने बताया है कि सभी 36 विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. वायुसेना को पहला राफेल विमान पिछले साल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की फ्रांस यात्रा के दौरान सौंपा गया था. बयान में यह भी कहा गया है कि 10 विमानों की आपूर्ति समय पर पूरी हो गई है और इनमें से पांच विमान प्रशिक्षण मिशन के लिये फ्रांस में ही रुकेंगे.
  • क्यों खास हैं राफेल विमान?
राफेल विमान अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से लैस हैं. दुनिया की सबसे घातक समझे जाने वाली हवा से हवा में मार करने वाली मेटयोर (METEOR) मिसाइल चीन तो क्या किसी भी एशियाई देश के पास नहीं है. वियोंड विज्युल रेंज ‘मेटयोर’ मिसाइल की रेंज करीब 150 किलोमीटर है. हवा से हवा में मार करने वाली ये मिसाइल दुनिया की सबसे घातक हथियारों में गिनी जाती है. इसके अलावा राफेल फाइटर जेट लंबी दूरी की हवा से सतह में मार करने वाली स्कैल्प क्रूज मिसाइल और हवा से हवा में मार करने वाली माइका मिसाइल से भी लैस है.