कॉलेज में दाखिले के एक साल बाद ही सृष्टि जयंत देशमुख ने सिविल सेवा परीक्षा को अपना लक्ष्य बना लिया था. उस वक़्त उन्होंने जो ठाना, आज उसे पा भी लिया.
मध्य प्रदेश में भोपाल की रहने वालीं सृष्टि जयंत देशमुख सिविल सेवा परीक्षा देने वाली महिलाओं में टॉपर रही हैं और उन्होंने पांचवी रैंक हासिल की है. सृष्टि ने अपने पहले प्रयास में ही ये सफलता प्राप्त की है.
सृष्टि कहती हैं कि उन्होंने तय कर लिया था कि चाहे जो हो जाए उन्हें ये परीक्षा पास करनी है और अच्छी रैंक हासिल करनी है.
केमिकल इंजीनियरिंग करने के बावजूद भी सिविल सेवा परीक्षा देने के फैसले को लेकर वो कहती हैं, ''कॉलेज के दूसरे-तीसरे साल में ही मैंने अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी थी. तब मुझे लगा कि केमिकल इंजीनियर बनकर उतना काम नहीं कर पाऊंगी जितना सिविल सेवा के जरिए सीधे तौर पर समाज के लिए अपना योगदान दे पाऊं. ''
सृष्टि के स्कूल से लेकर सिविल सेवा परीक्षा तक का सफ़र भोपाल में ही पूरा हुआ. उन्होंने स्कूली पढ़ाई भोपाल में एक कॉन्वेंट स्कूल से की. इसके बाद साल 2018 में शहर के ही एलएनसीटी कॉलेज से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की.
उन्होंने भोपाल में रहकर ही सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी की. अपनी तैयारी को लेकर सृष्टि कहती हैं कि वो दिल्ली सिर्फ साक्षात्कार के लिए आई थीं. भोपाल में ही कोचिंग ली और इंटरनेट से मदद लेती रही.
बड़े शहर में कोचिंग
स्टूडेंट अक्सर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए बड़े शहरों का रुख करते हैं लेकिन सृष्टि ने अपने घर पर रहकर ही कोचिंग लेने का फैसला किया.
इस लेकर वह बताती हैं, ''यहां पर रहने के कुछ फायदे और नुकसान दोनों हैं. फायदा ये है कि मां के हाथ का खाना खाने को मिलता है. रात को पापा के साथ बात करके अपनी परेशानियां कह सकते हैं. घर से दूर रहते हैं तो सारे काम भी खुद करने पड़ते हैं. लेकिन, काफी सारी दिक्कतें भी आईं हैं.''
''कभी क्लासेज में ऐसा लगता था कि कुछ कमी न रह जाए. दिल्ली में ज़्यादा अच्छे टीचर और कोचिंग हैं. पर मैंने अपने आप पर भरोसा रखा और इंटरनेट का इस्तेमाल करती रही. टेस्ट सीरिज से तैयारी की. दिल्ली में होने वाली पढ़ाई के संपर्क में भी रही और शायद उस वजह से मैं ये कर पाई.''
सृष्टि देशमुख के पिता भी इंजीनियर हैं और मां एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं. घर में दादी हैं और छोटा भाई स्कूल में पढ़ता है. अपनी सफलता का श्रेय पूरे परिवार, दोस्तों और शिक्षकों को देते हुए वह कहती हैं कि यूपीएससी एक बहुत बड़ी परीक्षा है और इन सबके सहयोग के बिना ये सफलता संभव नहीं थी.
कैसे की तैयारी
सृष्टि कहती हैं कि वो अलग-अलग विषयों के अनुसार दिन में समय तय करती थीं. उनका ऑप्शनल पेपर सोश्योलॉजी था. करंट अफेयर्स पर भी काफ़ी ध्यान दिया. थक जाने पर या तनाव होने पर योगा और म्यूजिक से वो खुद को आराम देती थीं.
इस परीक्षा की तैयारी करने वालों को वो सलाह देती हैं, ''करंट अफेयर्स से जुड़े रहें. पेपर में इससे जुड़ी काफ़ी चीजें पूछी जाती हैं. अख़बार पढ़ते रहें. किसी एक ही तरीके पर भरोसा न करें. अलग-अलग टेस्ट सीरिज देकर या कई जगहों से जानकारी लेते रहें. मानसिक रूप से ख़ुद को मजबूत बनाएं. कभी-कभी चिंता और मायूसी होना स्वाभाविक है पर अपनी कोशिशों पर भरोसा रखें और योगा या ध्यान लगाने जैसे तरीके भी अपना सकते हैं.''
महिलाओं के लिए चुनौती
सिविल सेवा की तैयारी से लेकर इस क्षेत्र में काम करने तक महिलाओं के सामने क्या अलग चुनौतियां आती हैं? इस सवाल पर सृष्टि ने कहा, ''ये सवाल मुझसे परीक्षा के साक्षात्कार में भी पूछा गया था. तब मैंने कहा था कि चुनौतियां तो हर नौकरी में होती हैं. महिला होने के कारण हो सकता है कि मेरे फैसलों की स्वीकार्यता को लेकर चुनौतियां आएं लेकिन मैं अपना काम स्पष्टता से और पूरी तैयारी के साथ करूंगी ताकि कोई समस्या न आए.''
यूपीएससी की मुख्य परीक्षा में इस बार 10,468 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें से 759 ने अंतिम सफलता हासिल की है. सफल परीक्षार्थियों में 182 लड़कियां हैं.
टॉप 25 में से 15 लड़के और 10 लड़कियां शामिल हैं. इस परीक्षा में जयपुर के कनिष्क कटारिया ने शीर्ष स्थान हासिल किया है. अक्षत जैन दूसरे नंबर पर हैं और ज़ुनैद अहमद को तीसरा स्थान मिला है.